फलियों वाला फसल राजमा प्रमुख रूप से दल्हन खाद्यपदार्थ है यह प्रोटीन फाइबर मिनरल्स और विभिन्न पोषक तत्वों से भरपूर पौष्टिक एवं सस्थ्यवर्धक है अधिकतर इसे भारत में राजमा ही कहते हैं लेकिन इसे किडनी बींस के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसका आकर गुर्दे की जैसी होती है।
राजमा के प्रकार-
1 किडनी बींस
2 लाल राजमा
3 सफेद राजमा
4 ब्लैक बींस
5 पिंटो बींस
6 नेवी बिंस
7 क्रेन बेरी बींस
8 व्हाइट किडनी बींस
इनमें से प्रत्येक राजमा का स्वाद और पोषक मूल्य अलग-अलग होते हैं
किसानों के लिए राजमा महत्वपूर्ण फसल है इसके मूल्य का स्तर हमेशा उच्चतम ही रहता है जिससे कृषि को विक्रय करते समय अधिक लाभ मिलता है
मुख्य रूप से राजमा उगाई जाने वाली जगहों के नाम-
1-भारत
पंजाब
हरियाणा
उत्तरप्रदेश
हिमाचल प्रदेश
2 - लैटिन अमेरिकी देश
मेक्सिको
ब्राज़ील
अर्जेंटीना
3 - संयुक्त राष्ट्र अमेरिका
4 -चीन
राजमा की उपज के लिए उपयुक्त मिट्टी -
1 - राजमा के पैदावार के लिए मिट्टी भुरभुरी और ज्यादा जल निकासी वाली होनी चाहिए ।
2 - राजमा के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होनी चाहिए ।
3 - इसके लिए मिट्टी में उर्वरता पर्याप्त होनी चाहिए जिसमें पोटाश फास्फोरस नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्व शामिल हो ।
4 -मिट्टी में जल (सोखने) धारण करने की क्षमता ज्यादा होनी चाहिए।
ऊपर दिए गए सभी निर्देशों का पालन करके राजमा का अत्यधिक पैदावार किया जा सकता है ।
राजमा के पेड़ -
1- राजमा एक लंबे बेल (लता)जैसा झाड़ीदार और फलीदार पौधा है ।
2 - राजमा के पौधे आमतौर पर दो-तीन मीटर लंबे होते हैं
लेकिन कई पौधे 1 मी होने के बाद से ही फल देने लगते हैं ।
3 - राजमा के पत्ते हरे रंग के चौड़े होते हैं ।
4 - इसके पौधों पर लच्छेदार सफेद और बैगनी रंग के छोटे-छोटे
फूल लगते हैं ।
5-फूल लगने के बाद फलियां लगती हैं जिसके अंदर
राजमा के दाने पकड़ते हैं ।
विशेष रूप से जब राजमा के दाने बड़े हो जाते हैं तो इनकी फलिया सूखने लगती हैं और सिकुड़ जाती हैं ठीक उसी टाइम पर इनकी हार्वेस्टिंग की जाती है
हार्वेस्टिंग करके 1-2 दिन सूखने के बाद आधुनिक मशीनों द्वारा फलियां और राजमा के दानों को अलग कर लिया जाता है
और इस तरह से कोई भी व्यंजन बनाने के लायक राजमा तैयार किया जाता है
राजमा से कई तरह के व्यंजन बनाया जाता है जैसे-
1 राजमा मसाला
2 राजमा सूप
3 राजमा चावल
4 राजमा सलाद
5 राजमा टिक्की
राजमा के स्वाद और प्रकृति के अनुसार इससे और भी नये व्यंजन बनाये जा सकते हैं